डॉक्टरों का कमाल: आठ महीने के बच्चे को दी सुनने की क्षमता
सेहतराग टीम
नवजात बच्चों में सुनने की क्षमता उनके भविष्य के विकास से सीधी जुड़ी होती है। बच्चा पहले सुनता है और फिर सुने हुए शब्दों को दोहराकर बोलना सीखता है। यानी कुछ भी सीखने के लिए बच्चे का सुनना जरूरी है। यदि कोई बच्चा जन्म से ही सुन नहीं सकता तो उसके मूक-बधिर होने की आशंका होती है। ऐसे में बचपन में ही अगर यह पता लग जाए कि बच्चा सुनने में असमर्थ है और उसकी परेशानी ठीक होने लायक है तो ये किसी वरदान से कम नहीं होता।
ऐसा ही एक मामला दिल्ली में सामने आया जहां मात्र आठ महीने के एक बच्चे का चुनौतीपूर्ण आपरेशन करके उसके दोनों कानो में एक साथ श्रवण यंत्र का प्रतिरोपण कर उसे एक नई जिंदगी प्रदान की है। डाक्टरों ने बताया कि बच्चा राष्ट्रीय राजधानी के पंजाबी बाग इलाके का रहने वाला है। उसके दोनों कानों में सुनने की गंभीर परेशानी थी, जिसका सफल इलाज किया गया।
इस निजी अस्पताल में जांच के दौरान डाक्टरों ने पाया कि यह समस्या श्रवण यंत्र के प्रतिरोपण से ठीक हो सकती है है। यह श्रवण यंत्र अथवा कर्णावर्ती (कॉक्लियर) एक इलेक्ट्रानिक यंत्र है जो किसी क्षतिग्रस्त कान के आंतरिक हिस्से में लगाया जाता है और स्वाभाविक रूप से सुनने में मदद करता है।
डॉक्टरों के अनुसार बच्चे के कानों में पहले सुनने वाली एक मशीन लगाई गई लेकिन बाद में यह पता चला कि इससे उसकी सामान्य श्रवण शक्ति वापस नहीं आएगी। इसके बाद परिवार को कॉक्लियर इम्प्लांट के बारे में बताया गया। इस ऑपरेशन के दौरान बच्चे की कम उम्र एक चुनौती थी लेकिन डाक्टरों ने माता-पिता की सहमति से ऑपरेशन करने का निर्णय किया और ऑपरेशन सफल रहा। अब बच्चा सामान्य रूप से सुन पाएगा और इसके कारण उसका सामान्य विकास हो पाएगा।
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